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सियासत : पूजा पाल के रुख से बदलेगा कौशाम्बी संसदीय क्षेत्र का सियासी समीकरण, कई सीटों पर पड़ेगा प्रभाव

राज्यसभा चुनाव में कौशाम्बी जिले की चायल विधानसभा सीट से विधायक पूजा पाल ने भाजपा को वोट देकर आगामी लोकसभा चुनाव में कौशाम्बी संसदीय क्षेत्र का समीकरण बदल दिया है।

चायल क्षेत्र की सपा विधायक पूजा पाल के रुख से कौशाम्बी संसदीय क्षेत्र का सियासी समीकरण बदल सकता है। दरअसल, जिले की तीनों विधानसभा क्षेत्रों में इस बिरादरी के तकरीबन 20-20 हजार वोट हैं। पूजा के पाला बदलने से बिरादरी के इन मतों का ध्रुवीकरण होना तय माना जा रहा है। जिसका असर आने वाले लोकसभा चुनाव के नतीजों पर पड़ेगा।
कौशाम्बी संसदीय क्षेत्र में जिले की मंझनपुर, सिराथू व चायल विधानसभा सीटें शामिल हैं। पूजा पाल चायल क्षेत्र से सपा की विधायक हैं। इससे पहले 2019 के लोकसभा, 2017 के विधानसभा व 2014 के लोकसभा चुनाव में जिले भर के अधिसंख्य पाल भाजपा के पक्ष में मतदान करते रहे हैं। 2022 के विधानसभा चुनाव में पूजा पाल के प्रत्याशी बनाए जाने पर बिरादरी का झुकाव सपा की तरफ हो गया था। सियासी जानकारों की मानें तो चायल व मंझनपुर क्षेत्र में लगभग 90 फीसदी, जबकि सिराथू क्षेत्र में 60 प्रतिशत पाल बिरादरी के वोट सपा के पाले में चले गए थे।
उमेश पाल की हत्या के बाद बदल गया था माहौल

नतीजतन चुनाव में सपा ने तीनों सीटें भाजपा से झटक लीं। प्रयागराज में उमेश पाल की हत्या के बाद बदले माहौल में पूजा पर सपा से दूरी बनाने का दबाब पड़ने लगा। बिरादरी के दबाव को देखते हुए पूजा मौके के इंतजार में लग गई। बीच-बीच में कई बार उनके भाजपा में शामिल होने की चचाएं भी आईं। इसी बीच मंगलवार को हुए राज्यसभा चुनाव में पार्टी से बगावत कर पूजा ने जिस तरह से भाजपा के पक्ष में क्रास वोटिंग की, उससे संसदीय क्षेत्र का सियासी समीकरण बदलना तय माना जा रहा है। हालांकि, पूजा के पैंतरे को लेकर दोनों दलों की राय अलग-अलग है।

सपा अल्पसंख्यक सभा के प्रदेश उपाध्यक्ष अनवार अहमद का कहना है कि पूजा पाल के जाने से पार्टी का कोई नुकसान होने वाला नहीं है। चुनाव से ठीक 15 दिन पहले पार्टी ने उन्हें प्रत्याशी बनाया था। इससे साफ है कि चुनाव में जनता ने पूजा नहीं, बल्कि अखिलेश यादव और सपा के नाम पर वोट देकर उन्हें विधायक बनाया था। वहीं, दूसरी तरफ भाजपा जिलाध्यक्ष धर्मराज मौर्या का कहना है कि विधायक पूजा ने राज्यसभा चुनाव में भाजपा के पक्ष में मतदान कर सही निर्णय लिया है। निश्चित तौर पर आने वाले दिनों में भाजपा और खुद विधायक पूजा को इसका फायदा मिलेगा।
कहीं सियासी जमीन खिसकने का डर तो नहीं

प्रयागराज में उमेश पाल की हत्या के बाद प्रदेश सरकार ने जिस तरह हत्यारों के खिलाफ कार्रवाई की, उससे पाल बिरादरी में भाजपा के प्रति रुझान बढ़ा है। बिरादरी के लोग उमेश की पत्नी जया पाल को सियासत में लाने का दबाव बना रहे हैं। इसे पूजा के लिए बड़ा सियासी खतरा माना जा रहा है। सूत्रों का कहना है कि सियासी जमीन खिसकने के डर से ही पूजा ने राज्य सभा चुनाव में सपा से बगावत कर क्रास वोटिंग की है।

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